महर्षि कणाद के अनुसार प्रत्येक पदार्थ सरल एवं अपरिवर्तनीय कणों से बना है, ये कण परमाणु/Atom है
परमाणु किसे कहते हैं/What Is Atom ?
– परमाणु जो कि ग्रीक भाषा के शब्द Atomio तथा लैटिन भाषा के शब्द Atomos से बना है जिसका अर्थ है अविभाज्य कण।
– डॉल्टन के अनुसार प्रत्येक पदार्थ अविभाज्य कणों से बना है ये अविभाज्य कण परमाणु है।
परमाणु की संरचना को व्यक्त करने क लिए कई वैज्ञानिको ने अलग अलग मॉडल दिए –
- डॉल्टन का परमाणु सिंद्धांत
- थॉमसन का परमाणु सिंद्धांत
- रदरफोर्ड का परमाणु सिंद्धांत
- बोहर का परमाणु सिंद्धांत
डॉल्टन का परमाणु सिंद्धांत
– प्रत्येक पदार्थ छोटे-छोटे अविभाज्य कणों से बना होता है, ये अविभाज्य कण परमाणु कहलाते हैं।
– एक ही तत्त्व के समस्त परमाणु गुणों में समान होते हैं। जैसे- रंग, आकार, रासायनिक क्रिया, द्रव्यमान आदि।
– भिन्न-भिन्न तत्त्वों के परमाणुओं के गुण भिन्न-भिन्न होते हैं।
– जब दो या अधिक परमाणु परस्पर संयोग करते हैं तो अणु अथवा यौगिक का निर्माण होता है।
– परमाणु को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है।
डॉल्टन की परिकल्पना में संशोधन |
– परमाणु/Atom के अवपरमाणिक कण (इलेक्ट्रॉन, न्यूट्रॉन, प्रोटोन) की खोज से स्पष्ट हुआ कि परमाणु को विभाजित किया जा सकता है।
– समस्थानिक के अस्तित्व के कारण एक ही तत्त्व के समस्त परमाणु गुणों में समान हो यह आवश्यक नहीं है। |
समस्थानिक:-
– ऐसे तत्त्व जिनके परमाणु क्रमांक तो समान हो परन्तु द्रव्यमान संख्या भिन्न-भिन्न हो, समस्थानिक कहलाते हैं।
उदाहरण- हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक होते हैं,
- प्रोटियम
- ड्यूटीरियम
- ट्राइटियम
परमाणु की आधुनिक परिभाषा- Atom Definition
– परमाणु पदार्थ का वह सबसे छोटा कण है जो, रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेता है तथा स्वतंत्र अस्तित्व में नहीं रहता है।
– अपवाद- उत्कृष्ट गैसें रासायनिक अभिक्रिया में भाग नहीं लेती एवं स्वतंत्र अस्तित्व में पाई जाती है।
उदाहरण :- हीलियम, निऑन, ऑर्गन, रेडॉन आदि।
परमाणु के अवपरमाण्विक कण
– परमाणु में मुख्य रूप से तीन अवपरमाण्विक कण पाए जाते हैं-
- इलेक्ट्रॉन
- प्रोटोन
- न्यूट्रॉन
– इन मूल तत्त्वों के अतिरिक्त अन्य अवपरमाण्विक कण पॉजिट्रॉन, न्यूट्रिनो, एंटीन्यूट्रिनों, मेसॉन, इत्यादि पाए जाते हैं।
इलेक्ट्रॉन:-
– इलेक्ट्रॉन के खोजकर्ता जे.जे. थॉमसन (टॉमसन) है।
– यह ऋणावेशित प्रकृति के कण है।
– इन पर आवेश का मान -1.6 × 10-19 कूलाम होता है।
– इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 9.1 × 10-31 Kg या 9.1 × 10-28 g होता है।
प्रोटोन
– प्रोटोन के खोजकर्ता गोल्डस्टीन है।
– इसकी प्रकृति धनावेशित होती है।
– इसके आवेश का मान 1.6 × 10-19 कूलाम होता है।
– प्रोटोन का द्रव्यमान 1.67262 × 10-27 Kg होता है।
न्यूट्रॉन:-
– न्यूट्रॉन के खोजकर्ता जेम्स चैडविक है।
– न्यूट्रॉन उदासीन प्रकृति का कण है।
– इसके आवेश का मान शून्य होता है।
– न्यूट्रॉन का द्रव्यमान 1.67493 × 10-27 Kg होता है।
Chemistry Practice Set |
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परमाणु/Atom के अन्य परमाण्विक कण
पॉजिट्रॉन
– इसकी खोज एन्डरसन ने की थी।
– इसकी प्रकृति धनावेशित है।
– इसका आवेश एवं द्रव्यमान इलेक्ट्रॉन के समान होता है किन्तु इसकी प्रकृति धनात्मक होती है।
– पॉजिट्रॉन को एंटीइलेक्ट्रॉन भी कहते हैं।
एंटीप्रोटोन
– इसके खोजकर्ता सेगरे हैं।
– ये एक ऋणावेशित कण है।
– इसका आवेश व द्रव्यमान प्रोटोन के समान होता है।
मेसॉन
– इसकी खोज युकावा ने की थी।
– यह धनावेशित, ऋणावेशित या उदासीन प्रकृति का होता है।
– इसका द्रव्यमान इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान का लगभग 200 गुणा होता है।
न्यूट्रिनो एवं एंटीन्यूट्रिनो
– इसकी खोज पोलिंग ने की थी।
– ये कण उदासीन होते हैं।
– इनका द्रव्यमान नगण्य होता है किन्तु निश्चित नहीं होता है।
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पॉजिट्रॉन |
एंटीप्रोटोन |
मेसॉन |
न्यूट्रिनो एवं एंटीन्यूट्रिनो |
खोज | एन्डरसन | सेगरे | युकावा | पोलिंग |
प्रकृति | धनावेशित | ऋणावेशित कण | धनावेशित, ऋणावेशित या उदासीन | उदासीन |
परमाणु क्रमांक/Atom Number
– किसी परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटोनों की संख्या, परमाणु क्रमांक कहलाती है।
– इसे Z से प्रदर्शित करते हैं।
– वैद्युत उदासीन परमाणु में इलेक्ट्रॉन एवं प्रोटोन की संख्या समान होती है।
– उदाहरण- सोडियम के नाभिक में प्रोटोन की संख्या 11 होती है अत: इसका परमाणु क्रमांक 11 है।
परमाणु क्रमांक = प्रोटोनों की संख्या या इलेक्ट्रॉनों की संख्या
आयन
– किसी उदासीन परमाणु द्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने या त्यागने पर प्राप्त आवेशित स्पीशीज, आयन कहलाती है या आवेशित कण आयन कहलाते हैं।
– आयन दो प्रकार के होते हैं-
धनायन
– परमाणु द्वारा इलेक्ट्रॉन त्यागने पर प्राप्त स्पीशीज धनायन होते हैं। उदाहरण- Li , Na , Zn2, Al3 आदि।
– धनायन में उपस्थित आवेश यह दर्शाता है परमाणु द्वारा कितने इलेक्ट्रॉन का त्याग किया गया है।
ऋणायन
– वह परमाणु जो इलेक्ट्रॉन ग्रहण करते हैं, ऋणायन का निर्माण करते हैं अर्थात् ऋणावेशित कण या स्पीशीज ऋणायन है।
उदाहरण- F-, Cl-, O2-, N3- आदि।
Note आयनों का निर्माण, परमाणु द्वारा अष्टक पूर्ण करने के लिए किया जाता है।
द्रव्यमान संख्या या परमाणु द्रव्यमान
– किसी परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटोनों की संख्या एवं न्यूट्रॉनों की संख्या का योग, द्रव्यमान संख्या कहलाता है।
– द्रव्यमान संख्या को A से दर्शाते हैं।
द्रव्यमान संख्या = प्रोटोनों की संख्या + न्यूट्रॉनों की संख्या
A = P +N
– न्यूट्रॉनों की संख्या (n) = A-P
परमाणु की संरचना/structure of atom
जे. जे. थॉमसन का परमाणु मॉडल/JJ Thomson’s atomic model
– सर्वप्रथम दिया गया परमाणु मॉडल थॉमसन का परमाणु मॉडल था, इसे प्लम-पुडिंग या रेजिन-पुडिंग मॉडल के नाम से भी जाना जाता है।
– भारतीय परिप्रेक्ष्य में इस मॉडल को तरबूज मॉडल कहते हैं। जिसके अन्तर्गत परमाणु धनावेशित गोला है जिसमें समान रूप से ऋणावेश वितरीत रहते हैं अर्थात् परमाणु वैद्युत रूप से उदासीन होता है।
थॉमसन के मॉडल की कमियाँ
– यह मॉडल रेखीय स्पेक्ट्रम की व्याख्या नहीं कर सका।
– रदरफोर्ड के प्रकीर्णन प्रयोग की व्याख्या नहीं कर सका।
रदरफोर्ड का स्वर्ण पत्र प्रयोग/Rutherford Atomic Model
– इसे एल्फा प्रकीर्णन प्रयोग भी कहा जाता है।
– रदरफोर्ड के सहयोगी गीगर तथा मार्सडेन थे।
– स्वर्ण पत्र की मोटाई 10-7 मीटर थी।
– रदरफोर्ड ने स्वर्ण पत्र को ही चुना क्योंकि सोने की आघातवर्धनीयता अधिक होती है अर्थात् सोने की पतली Sheet बनाई जा सकती है।
– उसने एल्फा कण के रूप में हीलियम/He का उपयोग किया क्योंकि हीलियम सबसे हल्की उत्कृष्ट गैस है।
रदरफोर्ड के प्रेक्षण |
एल्फा कण प्रकीर्णन प्रयोग के निष्कर्ष |
– अधिकांश एल्फा कण सोने की परत को चीरते हुए सीधे निकल गए।
– कुछ एल्फा कण θ कोण से विचलित हुए। – लगभग 20000 कणों में से एक एल्फा कण पुन: अपने पथ पर लौट आता है।(180 डिग्री पर) |
– अधिकांश एल्फा कण सीधे निकल गए क्योंकि परमाणु का अधिकांश भाग खाली होता है।
– कुछ कणों का विक्षेपण प्रतिकर्षण के कारण हुआ अर्थात् परमाणु संपूर्ण धनावेश संकेन्द्रित होता है। इस संपूर्ण धनावेश वाले भाग को नाभिक कहते हैं। – इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों तरफ वृताकार पथ में चक्कर लगाते हैं, इन वृताकार पथों को कक्षा या कक्षक कहा जाता है। |
रदरफोर्ड मॉडल की कमियाँ
– यह परमाणु मॉडल परमाणु के स्थायित्व की व्याख्या नहीं कर सका, क्योंकि मैक्सवेल की तरंग समीकरण से यदि इलेक्ट्रॉन सर्पिल पथ में गति करता है तो ऊर्जा क्षय के आधार पर अंत में इलेक्ट्रॉन नाभिक में गिर जाएगा एवं परमाणु नष्ट हो जाएगा।
– रदरफोर्ड का मॉडल रेखीय स्पैक्ट्रम की व्याख्या नहीं कर सका।
बोहर का परमाणु मॉडल/Bohr Model
– रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल में संशोधन करके बोहर ने परमाणु मॉडल प्रस्तुत किया
– बोहर के परमाणु मॉडल के विकास में 2 महत्त्वपूर्ण बिंदु
- विद्युत चुम्बकीय विकिरण का व्यवहार द्वैत प्रकृति का होता है अर्थात विद्युत चुम्बकीय तरंग की प्रकृति कणीय एवं तरंग दोनों प्रकार की होती है।
- परमाणु में इलेक्ट्रॉनिक ऊर्जा स्तर क्वांटीकृत होता है।
विद्युत चुम्बकीय विकिरण की तरंग प्रकृति
– जेम्स मैक्सवेल ने सर्वप्रथम आवेंशित पिण्डों के मध्य अन्योन्य क्रियाएँ करवाई एवं स्थूल स्तर पर विद्युत एवं चुम्बकीय क्षेत्रों की व्याख्या की।
– जब विद्युत आवेशित कणों की त्वरित गति कराते हैं तो एकांतरित विद्युत एवं चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होते हैं यह क्षेत्र तरंगीय रूप में होते हैं, इन्हें ही विद्युत चुम्बकीय विकिरण कहते हैं।
– प्रकाश भी विकिरण के रूप में होता है किंतु पूर्व में न्यूटन ने प्रकाश की कणीय प्रकृति बताई, न्यूटन ने बताया कि प्रकाश, कणों के रूप में संचरित होता है इन कणों को क्वाण्टा या फोटोन कहते हैं।
– सर्वप्रथम मैक्सवेल ने प्रकाश की तरंग प्रकृति बताई अर्थात् प्रकाश तरंगों का दोलायमान विद्युत एवं चुम्बकीय तरंगों से संबंधित है।
– विद्युत चुम्बकीय तरंग जटिल प्रकृति की होती है।
विद्युत चुम्बकीय विकिरणों के गुण
– दोलायमान आवेशित कणों द्वारा उत्पन्न विद्युत विकिरण एवं चुम्बकीय विकिरण परस्पर लम्बवत होती है तथा इनके संचरण की दिशा भी लम्बवत होती है।
– इन्हें संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है अर्थात ये निर्वात में भी गति कर सकती है।
– विद्युत चुम्बकीय तरंगें भिन्न-भिन्न प्रकृति की होती है इनके आवृति एवं तरंगदैर्ध्य भी अलग-अलग होते हैं।
– विद्युत चुम्बकीय तरंग आवृति, तरंगदैर्ध्य, विकिरण की चाल, तरंग संख्या एवं आयाम दर्शाते हैं
आवृति
– किसी एक निश्चित बिंदु से प्रति सेकण्ड गुजरने वाली तरंगों की संख्या, आवृति कहलाती है।
आवृति = (1 / समय)
– आवृति का मात्रक (1 / सेकण्ड) या सेकण्ड-1 या हर्टज होता है
तरंगदैर्ध्य:-
– दो समीपस्थ श्रृंगों अथवा गर्तो के मध्य की दूरी तरंगदैर्ध्य कहलाती है।
– तरंगदैर्ध्य का मात्रक मीटर या सेंटीमीटर या A° होता है।
– 1 A° = 10-10 मीटर या 10-8 सेंटीमीटर होता है।
प्रकाश की चाल
- निर्वात में सभी प्रकार की विद्युत चुम्बकीय तरंगे, एक समान गति दर्शाती है
- जो प्रकाश की चाल के समान है, प्रकाश की चाल को C से दर्शाते हैं एवं
- इसका मान 3×108 मीटर प्रति सेकण्ड होता है।
आयाम:-
– किसी श्रृंग की अधिकतम ऊँचाई या गर्त की अधिकतम गहराई, आयाम है।
– इसे a दर्शाते हैं।
– आयाम एक दूरी है।
– इसका मात्रक मीटर या सेन्टीमीटर या A° होता है।
तरंग संख्या
– प्रति इकाई लम्बाई में स्थित तरंगदैर्ध्यों की संख्या तरंग संख्या कहलाती है।
– तरंग संख्या = (1 / तरंगदैर्ध्य)
– तरंग संख्या का मात्रक (1 / मीटर) या मीटर-1 या सेन्टीमीटर-1
प्लांक का क्वाण्टम सिद्धान्त
– परमाणु या अणु ऊर्जा का अवशोषण या उत्सर्जन विविक्त (Discrete) रूप में करते हैं, सतत् रूप में नहीं करते हैं।
– विकिरण की क्वाण्टम ऊर्जा उसकी आवृत्ति के समानुपाती होती है।
– प्लांक स्थिरांक इसका मान 6.626 × 10-34 Js होता है।
– क्वाण्टम, विद्युत चुम्बकीय विकिरण के रूप में उत्सर्जित या अवशोषित न्यूनतम ऊर्जा होती है।
विद्युत चुम्बकीय विकिरण की द्वैत प्रकृति
– कणीय प्रकृति के आइन्स्टीन के द्रव्यमान – ऊर्जा समीकरण से E = mc2
– कणीय प्रकृति में चाल को v से दर्शाया जाता है।
जीमान प्रभाव:-
– चुम्बकीय क्षेत्र के प्रभाव में स्पेक्ट्रमी रेखाओं का विपाटन, जीमान प्रभाव कहलाता है।
स्टार्क प्रभाव:-
– विद्युत क्षेत्र के प्रभाव में स्पेक्ट्रमी रेखाओं का विपाटन, स्टार्क प्रभाव कहलाता है।
डी ब्रोग्ली सिद्धान्त
– सन् 1920 में डी ब्रोग्ली ने बताया कि द्रव्य भी प्रकाश के समान द्वैत प्रकृति दर्शाता है।
– जब द्रव्य द्वैत प्रकृति दर्शाता है इसका अर्थ है कि द्रव्य के सूक्ष्म कण जैसे इलेक्ट्रॉन, प्रोटोन आदि की कणीय एवं तरंगीय दोनों प्रकार की प्रकृति होती है।
– द्रव्य के छोटे-छोटे कण तरंग के रूप में बहते हैं तथा तरंग का तरंगदैर्ध्य कण के संवेग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता का सिद्धान्त
– किसी निश्चित क्षण पर किसी कण के लिए स्थिति एवं संवेग का यथार्थ मापन संभव नहीं है।
बोहर का परमाणु मॉडल/Bohr Model
– परमाणु का सम्पूर्ण धनावेश उसके नाभिक में केन्द्रित होता है।
– बोहर के अनुसार इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों स्थायी वृत्ताकार पथों में चक्कर लगाते हैं। इन पथों की ऊर्जा निश्चित एवं भिन्न-भिन्न होती है।
– इन स्थायी वृत्ताकार पथों को ऊर्जा स्तर या कक्षा अथवा कोश कहा जाता है।
– इन ऊर्जा स्रोतों को K, L, M, N या 1, 2, 3, 4 से दर्शाते हैं।
– जैसे-जैसे नाभिक से दूर जाते हैं, वैसे-वैसे कक्षा की ऊर्जा में वृद्धि होती है अर्थात् सबसे कम ऊर्जा प्रथम कक्षा K की होती है।
– जब निम्न ऊर्जा स्तर में उपस्थित इलेक्ट्रॉन ऊर्जा का अवशोषण करता है वह उच्च ऊर्जा स्तर में चला जाता है।
– जब उच्च ऊर्जा स्तर में उपस्थित इलेक्ट्रॉन ऊर्जा का उत्सर्जन करता है तो वह निम्न ऊर्जा स्तर में चला जाता है।
– बोहर ने प्रत्येक कक्षा में अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या निश्चित की थी उसके अनुसार प्रत्येक कक्षा में अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या 2n2 होती है।
जैसे- n = 3 में इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 2(3)2 अर्थात् 18 होती है।
बोहर के परमाणु मॉडल की कमियाँ
– बोहर का परमाणु मॉडल एक से अधिक इलेक्ट्रॉनयुक्त स्पीशीज पर लागू नहीं होता।
– स्पेक्ट्रमी रेखाओं की सूक्ष्म संरचना में उपस्थित दिक् रेखाओं की व्याख्या नहीं कर सका।
– जीमान प्रभाव और स्टार्क प्रभाव की भी व्याख्या नहीं कर सका।
– बोहर अपने परमाणु मॉडल के द्वारा परमाणुओं के रासायनिक बंधन से निर्मित अणुओं के निर्माण की व्याख्या नहीं कर सका।
Chemistry Links!
पदार्थ की अवस्थाएं | रासायनिक यौगिक व सूत्र |
पदार्थो का वर्गीकरण | भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन |
बहुलक क्या है – Polymers ? | कार्बन परमाणु |
हरित ग्रह प्रभाव क्या है -What Is Greenhouse Effect? | |
परमाणु का संकेतन/Symbol
- परमाणु/Atom को X से,
- परमाणु क्रमांक/Atom Number को Z से तथा
- परमाणु द्रव्यमान/Atomic Mass को A से निरूपित किया जाता है।
अणु किसे कहते हैं ?(Molecule)
अणु/Molecule पदार्थ का वह छोटा कण है जो प्रकृति में स्वतंत्र अवस्था में पाया जाता है लेकिन रासायनिक प्रतिक्रिया में भाग नहीं ले सकता है। रसायन विज्ञान में अणु दो या दो से अधिक, एक ही प्रकार या अलग अलग प्रकार के परमाणुओं से मिलकर बने होते है। परमाणु मजबूत रसायनिक बंधन के कारण आपस में जुड़े रहते हैं और अणु का निर्माण करते हैं।
- पदार्थ का वह सूक्ष्मतम कण जो स्वतंत्र अवस्था में रह सकता है
- अणु परमाणु से मिलकर बने होते है ।
- उदाहरण – N2
परमाणु व अणु में अंतर{Difference between Atom and Molecule}
परमाणु/Atom | अणु/Molecule |
– परमाणु स्वतन्त्र अवस्था मे नहीं रह सकते । | – पदार्थ का वह सूक्ष्मतम कण जो स्वतंत्र अवस्था में रह सकता है |
– परमाणु/Atom अविभाज्य है। | – इसको विभाजित किया जा सकता है। |
– रासायनिक क्रियाओं में भाग लेता है। | – अणु रासायनिक क्रियाओं में भाग नही लेता है। |
अणु व् परमाणु से संबंधित प्रश्न
1. परमाणु किन कणों से मिलकर बनता है ?
उत्तर – न्यूट्रॉन,प्रोटॉन, इलेक्ट्रान से।
2. अणु का निर्माण किससे होता है ?
उत्तर – परमाणुओं/Atom से।
3. क्या अणु का विभाजन सम्भव है ?
उत्तर – हाँ अणु को परमाणु में विभाजित किया जा सकता है।
4. क्या परमाणु/Atom का विभाजन सम्भव है ?
उत्तर – नहीं ।
5. न्यूट्रॉन पर कितना आवेश पाया जाता है ?
उत्तर – शून्य आवेश
6. प्रोटोन का द्रव्यमान कितना होता है ?
उत्तर – प्रोटोन का द्रव्यमान 1.67262 × 10-27 Kg होता है
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