बौद्ध धर्म तथा जैन धर्म | Buddhism And Jainism

Buddhism And Jainism Notes | Jains believe in the existence of an eternal Jiva (soul), whereas Buddhism denies the concept of self (jiva) or soul (atman), proposing the concept of no-self (anatta) instead.

The Anekantavada doctrine is another key difference between Jainism and Buddhism.


Buddhism And Jainism
Buddhism And Jainism

बौद्धधर्म(Buddhism)

  • संस्थापक – भगवान बुद्ध
  • इन्हें एशिया का प्रकाश / रोशनी भी कहा जाता है.
जन्म 563 BC में लुंबिनी ( नेपाल)
वास्तविक नामसिद्धार्थ
माता का नाममहामाया
पिता का नामसुधोधन

Note :

  • पिता शाक्य कुल के प्रमुख थे
  • पालन करने वाली माता – प्रजापति गौतमी
  • प्रजापति गौतमी ने पाला इसलिए बुद्ध का नाम उनके नाम पर “गौतम बुद्ध” भी है.
पत्नी का नामयशोधरा
पुत्र का नामराहुल
सारथी का नामचन्ना
घोड़े का नामकंथक
बुद्ध के प्रथम गुरुअलार कलाम
बुद्ध के द्वितीय गुरुरुद्रक रामपुत्र
घर छोडने की उम्र29

भगवान बुद्ध के जीवन की 4 प्रमुख घटनाएं –

  1. वृद्ध व्यक्ति
  2. बीमार / कमजोर व्यक्ति
  3. म्रत व्यक्ति
  4. संन्यासी

ज्ञान की प्राप्ति –

  • 35 वर्ष की आयु में
  • ज्ञान की प्राप्ति के बाद उनका नाम बुद्ध पडा़.
  • ज्ञान प्राप्ति का स्थान – बोधगया , निरंजन / फालतू नदी के किनारे
  • प्रथम उपदेश – सारनाथ (UP)
  • अंतिम उपदेश – शुभद्र, खुशी कुशीनगर (UP)

बुद्ध के जीवन के 4 आर्य सत्य –

  1. दुख
  2. दुख समुदाय
  3. दुख निरोध
  4. दुख निरोध गामिनी प्रतिपदा

बुद्ध के जीवन के चिन्ह –

  1. जन्म – कमल
  2. युवा – सांड
  3. ग्रहत्याग – घोड़ा
  4. ज्ञान प्राप्ति – बोधि वृक्ष
  5. प्रथम उपदेश – पहिया
  6. मृत्यु – स्तूप

बौद्ध धर्म की त्रिरत्न(Triratna Of Buddhism) –

  1. बुद्ध
  2. धम्म
  3. संघ

बौद्ध परिषद(Buddhist Council)

1) प्रथम बौद्ध परिषद –

प्रथम बौद्ध परिषद 483 BC में हुई

स्थानराजग्रह, बिहार
अध्यक्षमहाकश्यप
राजाअजातशत्रु

नोट – प्रथम बौद्ध परिषद भगवान बुद्ध की मृत्यु के बाद हुई

2) द्वितीय बौद्ध परिषद –

द्वितीय बौद्ध परिषद 383 BC में हुई

स्थान वैशाली, बिहार
अध्यक्षसब्बाकामी
राजाकालाशोक / काकावर्ष

3) त्रतीय बौद्ध परिषद –

त्रतीय बौद्ध परिषद 250/251 BC में हुई

स्थानपाटलिपुत्र
अध्यक्षमोगलीपुत्र तिस्सा
राजासम्राट अशोक

4) चतुर्थ बौद्ध परिषद –

चतुर्थ बौद्ध परिषद 100/98 AD में हुई

स्थानकुंडलवन , कश्मीर
अध्यक्षवसुमित्र
राजाकनिष्क

बौद्ध ग्रंथ(Buddhist Texts)

बौद्ध ग्रंथों को पाली भाषा में लिखा गया है.

बौद्ध ग्रंथ लेखक
1)विनय पिटक उपालीइसमें बौद्ध भिक्षुओं के लिए नियम लिखे गए हैं.
2) सुत्त पिटक आनंदइसमें बुद्ध के शिष्यों के लिए उपदेश लिखे गए हैं.
3) अभिधम्म पिटक मोगलीपुत्र तिस्साबौद्ध दर्शन

बौद्ध धर्म के अन्य ग्रंथ –

1) जातक – बुद्ध के पूर्व जन्म की कथाऐं
2) दीपवंश
3) महावंश

बौद्ध धर्म के भाग –

बौद्ध धर्म को 2 भागों में बांटा गया है

1) हिनयान –इसमें बुद्ध को सामान्य व्यक्ति माना गया है.
इसमें कहा गया है कि ज्ञान की प्राप्ति अकेले ही की जा सकती है.
2) महायान –इसमें बुद्ध को भगवान माना गया है.
इसमें कहा गया है कि ज्ञान की प्राप्ति भगवान बुद्ध की सहायता से ही संभव है.

बौद्ध धर्म को संरक्षण देने वाले राजा –

1) अजातशत्रु
2) अशोक
3) कनिष्क
4) हर्षवर्धन

भगवान बुद्ध की मुख्य घटनाओं के नाम-

1) ग्रह त्याग – महाभिनिष्क्रिमण
2) प्रथम उपदेश – धम्म चक्र परिवर्तन
3) मृत्यु – महापरिनिर्वाण

भगवान बुद्ध की मृत्यु –

भगवान बुद्ध की मृत्यु 483 BC में हुई
स्थानकुशीनगर (UP)
कारणचुंड नामक व्यक्ति द्वारा दिए गए सूअर का मास खाने के कारण.

जैन धर्म(Jainism)

जैन शब्द का अर्थ – जिन = विजय
संस्थापक – रिषभदेव
कुल तीर्थंकर – 24

पहले तीर्थंकररिषभदेव / आदिनाथ
22 वे तीर्थंकरअरिष्टनेमि
23 वे तीर्थंकरपार्श्वनाथ
24 वे तीर्थंकरमहावीर स्वामी

जैन धर्म का प्रथम साक्ष्य सिंधु घाटी सभ्यता के मोहनजोदड़ो से मिलता है.

– Jainism

पार्श्वनाथ –

– 23 वे तीर्थंकर
– काशी के राजा अश्वसेन के पुत्र थे

पार्श्वनाथ के 4 महाव्रत –

1) सत्य
2) अहिंसा
3) अस्तेय ( चोरी नहीं करना)
4) अपरिग्रह ( संपत्ति इकट्ठा न करना)

महावीर स्वामी –

तीर्थंकर24th
असली नामवर्धमान
जन्म540 ई.पू
प्रतीक सिंह
जन्म स्थानकुंडलग्राम, वैशाली (बिहार)
माता त्रिशला
पिता सिद्धार्थ
पत्नीयशोदा
बेटीप्रियदर्शना/अनोंजा
दामादजमाली
Home left30 साल

ज्ञान की प्राप्ति –

आयु42
जगहजांभिक गांव (साल के पेड़ के नीचे)
नदीरिजुपालिका

महावीर स्वामी की ज्ञान प्राप्ति को ” कैवल्य ” कहा गया है

– Jainism


प्रथम उपदेश –

स्थानराजग्रह के विपुलांचल की पहाडियों पर
प्रथम शिष्याचंदना
प्रथम शिष्यजमाली

जैन धर्म का पांचवा महाव्रत –

इसमें जैन भिक्षुओं के लिए ब्रहमचर्य को जोड़ा गया महावीर स्वामी द्वारा

जैन धर्म के त्रिरत्न –

1) सम्यक दर्शन ( Right vision)
2) सम्यक ज्ञान ( Right knowledge)
3) सम्यक आचरण (Right conduct)

जैन धर्म का साहित्य / Literature

भाषा – प्राकृत
आगम – जैन साहित्य

भगवती सूत्रमहावीर स्वामी की जीवनी
अचरंग सूत्रजैन भिक्षुओं के सूत्र और नियम
नयाधम्मकहा सूत्रमहावीर स्वामी की शिक्षाओं का संग्रह

जैन परिषद

1) प्रथम जैन परिषद ( 1st Jain Council) –


समय
300 ई.पू
स्थानपाटलिपुत्र
अध्यक्षस्थलबाहु/स्थलभद्र
राजा चंद्रगुप्त मौर्य

2) द्वितीय जैनपरिषद ( 2nd Jain Council) –

समय 512 ई
स्थानवल्लभी, गुजरात
अध्यक्ष देवरदीक्षामश्रमण/देवरधमनी

जैन धर्म के भाग –

जैन धर्म को 2 भागों में बांटा गया है.

1) दिगम्बर –

  • लीडर – भद्रबाहु
  • इसके भिक्षु नग्न अवस्था में रहते हैं.
  • इसमें परिवर्तन करने की अनुमति नहीं है.
  • आगम स्वीकार नहीं है.

Note – इसमें ज्ञान/ कैवल्य महिलाओं के लिए नहीं है.

2) श्वेतांबर –

  • लीडर – स्थलबाहु
  • इसके भिक्षु श्वेत वस्त्र धारण करते हैं.
  • आगम स्वीकार है.

Note – इसमें ज्ञान / कैवल्य महिलाओं के लिए भी है.

जैन दर्शन (Philosophy) –

1) अनेकांतवाद
2) सप्त भंगनीय
3) नववाद

जैन धर्म स्वीकार करने वाले राजा –

1) खारवेल – कलिंग
2) चंद्रगुप्त मौर्य – मौर्य वंश
3) अमोघवर्ष – राष्ट्रकूट
4) उदायीन – हर्यक वंश


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