पादप/plants पृथ्वी पर सबसे आवश्यक जीवित (living) जीवों में से एक हैं। पौधे जानवरों और मनुष्यों दोनों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
plants ऑक्सीजन उत्पन्न करते हैं जो जीवों के जीवन के लिए महत्वपूर्ण है।
पौधे बहुकोशिकीय, प्रकाश संश्लेषक , यूकेरियोट्स होते हैं, जिन्हें प्लाण्टी (Plantae) जो कि एक अलग Kingdom है के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
Animals की तरह पौधों में विकसित कोशिका और उसके विशेष अंग यानि कोशिकांग होते हैं, जो मुख्य रूप से पादप के कोशिका कार्यो को करते हैं तथा पादप कोशिका में स्पष्ट केन्द्रक पाया जाता है इसलिए इन्हें Eukaryotes में रखा गया है।
पादपों में अपना भोजन खुद बनाने की क्षमता होती है, इसलिए इनके स्वपोषी कहा जाता है। भोजन के लिए पादप सूर्य के प्रकाश पर निर्भर रहते है तथा प्रकाश ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदल कर जल व CO2 का उपयोग करके Oxygen व glucose बनाते हैं।
यह Glucose पादप की कोशिका (plant cell) के कार्यो के लिए आवश्यक होता है।
क्लोरोप्लास्ट पौधों और नीले-हरे शैवाल (Blue green algae) में प्रकाश संश्लेषण की जगह उपलब्ध करता हैं।
Reaction -:
6CO2 + 6 H2O — C6H12O6 + 6O2
Parts Of Plants/पौधों के विभिन्न भाग
Root/जड़-
root पादप का महत्वपूर्ण भाग है जो पादप को सहारा प्रदान करता है।
जड़ पादप का वह भाग होता है जो जमीन के अंदर स्थित होता है तथा पादप के लिए मिट्टी से जल व पोषक पदार्थो का अवशोषण करता है।
root के द्वारा ही पादप के विभिन्न भागों तक पोषक पदार्थो का परिवहन होता है।
Types of roots
(1). मूसला मूल (TAP ROOT )
(2). रेशेदार मूल (FIBROUS ROOT)
(3). अपस्थानिक मूल (ADVENTITIOUS ROOT)
(1). मूसला जड़ (Tap Root)
प्राथमिक जड़े एवं इनकी शाखाएं मिलकर मूसला मूल तंत्र बनाती है । इन पर छोटे -छोटे मूलरोम (Root hairs) उपस्थित होते है।
पौधे की मुख्य जड़ जिससे छोटी-छोटी जड़ें निकलती हैं। उदाहरण – सरसों का पौधा , गाजर , चुकंदर ।
(2). रेशेदार जड़ (Fibrous Roots)
प्राथमिक जड़े(Primary roots) जब अल्पजीवी होती है तो वे पतली जड़ों द्वारा प्रतिस्थापित हो जाती है , इस प्रकार की जड़ें तने के आधार से निकलती है। उदाहरण – गेहूं का पौधा , चावल, मक्का, केला
(3). अपस्थानिक जड़ (Adventitious Roots) -:
इसमें मूल/ जड़, मूलांकुर (Radicle) के बजाय पौधें के अन्य भाग से निकलती है । उदाहरण – घास , बरगद
Functions Of Root
- जड़ पौधों को सहारा प्रदान करती हैं।
- जड़ पौधों के लिए मिट्टी से जल व अन्य खनिज पदार्थों का अवशोषण करती हैं।
- कुछ जड़ भोजन का संग्रह भी करती है।
तना (STEM)
तना पादप का वायवीय भाग होता है , जो भूमि के ऊपर स्थित होता है तथा Plumule (प्रांक़ुर) से विकसित होता है । तने पर शाखाएं ,पत्तियां एवं पुष्प लगते है ।
- Plumule – बीज का वह भाग जिससे तना विकसित होता है।
- वृद्धि – पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण के विपरीत प्रकाश की ओर
Modification Of Stem/तने का रूपांतरण –
तना Plant की सुरक्षा , जानवरों से रक्षा , प्रतिकूल परिस्थितियों में पादप को जीवित रखने , प्रकाश संश्लेषण के लिए , भोजन सँग्रह के लिए अपने आप को रूपांतरित कर लेते है।
- भूमिगत तना (Underground)
- वायवीय तना (Aerial)
- उपवायवीय तना ( Sub- Aerial)
(1). भूमिगत रुपांतरण
(Underground Modification ) –
● प्रकन्द (Rhizome) – हल्दी , अदरक , केला
● कन्द ( Tubers) – आलू
● शल्क कन्द (Bulb) – प्याज, लहसुन
● घनकन्द (Corm) – जमीकंद , अरबी (Colocasia)
(2). वायवीय रूपांतरण
(Aerial Modification) – :
● Phylloclades (पर्णाभ वृन्त)
● cladodes (क्लेडोडस)
● Thorns (काँटे)
● Stem Tendrils (तना प्रतान)
(3). उपवायवीय तनों के रूपांतरण
(Sub-Aerial Modification) – :
● रनर (Runner)
● स्टॉलोंन (Stolon)
● चूषक (Sucker)
● भूस्तारिका (offset)
Functions of Stem
- Stem पादप को सहारा (Support) व सुरक्षा प्रदान करता है।
- तना जल , खनिज लवण एवं प्रकाश संशलेषी पदार्थो का संवहन करता है।
- कुछ तने भोजन सँग्रह करते है ।
- तना कायिक प्रवर्धन (Vegetative Propagation) में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
Leaf/पत्ती
Leaf पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।। पृथ्वी पर प्रत्येक जीव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पादपों पर निर्भर रहता है। पौधे के विभिन्न भाग होते हैं जिनमे Leaf/पत्ती एक आवश्यक भाग है क्योंकि पादपों के जीवन के लिए आवश्यक भोजन का निर्माण पत्तियों में ही होता है।
Leaf को “पादप का Kitchen” कहा जाता है (भोजन निर्माण होने के कारण)
Leaf/पत्तियों के 2 मुख्य कार्य होते हैं -:
- प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis)
- वाष्पोत्सर्जन (Transpiration)
Flower/पुष्प
पादपों का जनन भाग पुष्प (Flower) होता है।
Parts Of a Flower
- बाह्य दल(Sepal)
- दल (Petal)
- पुंकेसर (stamen)
- स्त्रीकेसर/अंडप (Pistil/Carpel)
Fruit/ फल
युग्मनज निर्माण के लिए नर युग्मको को मादा युग्मक (egg) के साथ मिलना होता है ,यह क्रिया परागण के माध्यम से होती है।
(युग्मनज या zygote निर्माण की प्रक्रिया ही निषेचन कहलाती है।)
उसके बाद Zygote विकसित होकर भ्रूण बना लेता है तथा फिर बीज बना लेता है।
- Ovary/अंडाशय, फल के रूप में विकसित हो जाता है।
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