प्रकाश – Light

 

Definition Of Light /प्रकाश :

प्रकाश वैद्युत चुम्बकीय तरंग रूप में संचारित होने वाली ऊर्जा है जिसके कारण हम वस्तुओं को देख पाते हैं ।

प्रकाश/Light सीधी रेखा में गमन करता है अतः वस्तु की छाया बनती है। 

 

Speed Of Light/प्रकाश की चाल :

प्रकाश निर्वात और पारदर्शी माध्यमों में गति कर सकता है। जिनमे प्रकाश की चाल अलग-अलग होती है। प्रकाश का वेग/चाल निर्वात में सबसे अधिक होता है (3*108 मीटर/सेकंड)

पानी मे प्रकाश का वेग – 2.25*108 मीटर/सेकंड
कांच में प्रकाश का वेग – 2.00*108 मीटर/सेकंड

Light

 

सूर्य के प्रकाश को धरती तक पहुंचने में 8 मिनट 20 सेकंड का समय लगता है।
चन्द्रमा से परावर्तित प्रकाश को Earth तक आने में 1.28 second का समय लगता है।

जब प्रकाश तरंग एक माध्यम से दूसरे में जाती है तो प्रकाश का तरंगदैर्ध्य बदल जाता है , जो कि प्रकाश की चाल बदलने का कारण है।

 

हम कैसे देख पाते हैं ?

प्रकाश स्पेक्ट्रम (तरंगदैर्ध्य 400 से 700 nm) जब किसी वस्तु पर पड़ता है तो वस्तु द्वारा इस स्पेक्ट्रम का कुछ भाग अवशोषित तथा कुछ भाग परावर्तित कर दिया जाता है।
वस्तु ने प्रकाश स्पेक्ट्रम के जिस भाग को परावर्तित करती है, वह हमारी आंखों के रेटिना पर पड़ता है तथा हमे वस्तुएं दिखाई देती है। किसी वस्तु का रंग क्या होगा , यह वस्तु द्वारा परावर्तित प्रकाश स्पेक्ट्रम के भाग पर निर्भर करता है।

 

किसी वस्तु का रंग हमें काला दिखाई देता हैं क्यों?
यदि किसी वस्तु द्वारा प्रकाश स्पेक्ट्रम का सभी भाग अवशोषित कर लिया जाए व कोई भी भाग परावर्तित न हो तो वस्तु का Color काला दिखाई देता है।

प्रकाश ऊर्जा का संचरण 2 प्रकार से होता है –

  • कणों द्वारा
  • तरंगों द्वारा

प्रकाश की प्रकृति की व्याख्या करने के लिए अनेक सिद्धांत दिए गए जैसे – प्रकाश कणिका सिद्धान्त(न्यूटन), प्रकाश तरंग सिद्धान्त(हाइगेन), प्रकाश का विद्युत चुम्बकीय सिद्धान्त(मैक्सवेल) तथा प्रकाश का क्वांटम सिद्धान्त(मैक्स प्लांक) दिए गए लेकिन इनमें से कोई भी सिद्धान्त बिना किसी विवाद के मान्य नहीं है।  निर्विवाद रूप से प्रकाश की प्रकृति को समझने के लिए द्वेत सिद्धान्त प्रचलित है।

 

न्यूटन का कणिका सिद्धान्त :
सर्वप्रथम दकार्ते ने 1637 में इसकी व्याख्या की , जिसे बाद में न्यूटन ने और विकसित किया ।

न्यूटन के इस सिद्धांत के द्वारा परावर्तन, अपवर्तन जैसी घटनाओं को आसानी से समझाया गया लेकिन प्रकाश की अक्षीय घटनाएं जैसे – व्यतिकरण, विवर्तन तथा ध्रुवण को समझाने में यह सिद्धान्त असफल रहा।

 

हाइगेन का तरंग सिद्धान्त :
हाइगेन ने 1678 में प्रकाश के तरंग सिद्धान्त को प्रस्तुत किया ।
यह सिद्धान्त बताता है कि प्रकाश ऊर्जा का संचरण अनुदैर्ध्य तरंगों के रूप में होता है। इस सिद्धांत के अनुसार इन तरंगों के संचरण के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता होती है। इस कारण उसने काल्पनिक माध्यम ईथर की कल्पना की जो सम्पूर्ण आकाश में विद्यमान होता है यानि कि सर्वव्यापी होता है। यह सिद्धांत परावर्तन व अपवर्तन की व्याख्या करने में सफल रहा, लेकिन प्रकाश वैद्युत प्रभाव एवं कॉम्प्टन प्रभाव की सफल व्याख्या नहीं कर सका।

 

मैक्सवेल का विद्युत चुम्बकीय तरंग सिद्धान्त :
मैक्सवेल ने एक नई प्रकार की तरंगों की खोज की जिन्हें विद्युत चुम्बकीय तरंगे कहा गया।
मैक्सवेल ने बताया कि प्रकाश तरंगों के गुण विद्युत चुम्बकीय तरंगों के अनुरूप होते है।

 

प्रकाश का क्वांटम सिद्धान्त :
आइंस्टीन ने 1905 में क्वांटम सिद्धान्त दिया जिसके अनुसार प्रकाश ऊर्जा बंडलों जिन्हें क्वांटा कहा गया के रूप में होता है । प्रकाश के इन बंडलों को Photon/फोटॉन कहा गया। इस Theory ने प्रकाश के कण सम्बन्धी गुणों एवं तरंग प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित किया।

 

प्रकाश के स्त्रोत :

प्रकाश के 2 स्त्रोत है :

  1. प्राकृतिक स्त्रोत
  2. कृत्रिम स्त्रोत

1.प्राकृतिक स्त्रोत : वे Source जो प्राकृतिक रूप से प्रकाश उपलब्ध करवाते हैं । जैसे – Sun, Moon, Stars आदि

2.कृत्रिम स्त्रोत : वे Source जो मनुष्य द्वारा निर्मित किये जाते है। जैसे – विद्युत बल्ब, मोमबत्ती, टोर्च, दीपक, ट्यूबलाइट्स, सोडियम लैम्प, निऑन लैम्प, लालटेन आदि।

 

श्वेत प्रकाश :

श्वेत प्रकाश प्रिज्म से 7 रंगों में विभाजित हो जाता है।

Prism

 

  1. बैंगनी – Violet
  2. जामुनी – Indigo
  3. नीला – Blue
  4. हरा – Green
  5. पीला – Yellow
  6. नारंगी – Orange
  7. लाल – Red

 

Trick to remember – VIBGYOR  या फिर बेजानीहपीनाला (ये सभी रंग मिलकर श्वेत प्रकाश बनाते हैं)

 

प्राथमिक रंग/Primary Colours : लाल, हरे, नीले रंगों को मूल रंग या प्राथमिक रंग कहा जाता है। किसी भी रंग को इन तीनों रंगों के समुचित मिश्रण से बनाया जाता है।
Red
Green
Blue

 

द्वितीयक रंग/Secondary Colours : अन्य रंगों को द्वितीयक या फिर गौण रंग कहा जाता है।

 

Important About Lights :

परिक्षेपण : प्रकाश के रंगों में विभाजित हो जाना

स्पेक्ट्रम : पर्दे पर 7 रंगों के धब्बे को

अवरक्त किरणें : अदृश्य किरणें जिनकी तरंगदैर्घ्य दृश्य लाल प्रकाश से अधिक होती है ।  अवरक्त किरणें जिस सतह पर गिरती है उसे गर्म कर देती है।

पराबैंगनी विकिरण : प्रकाश स्पेक्ट्रम का वह अदृश्य भाग जिसकी तरंगदैर्ध्य बैंगनी प्रकाश से छोटी होती है।
(400 nm से कम)
पराबैंगनी किरणों की खोज रीटर ने की।

 

Frequently Asked Questions On Light. :

Q.1 प्रकाश का रंग निर्धारित होता है, इसके –
A.आयाम से/amplitude
B.तरंगदैर्ध्य से/wavelength
C.तीव्रता से/Intensity
D.वेग से/Speed

 

Q.2 प्रिज्म से गुजरने पर प्रकाश का कौन सा रंग सबसे अधिक विचलन दर्शाता है?
A. श्वेत/White
B. लाल/Red
C.काला/Black
D.बैंगनी/Violet

 

Q.3 निम्न में से प्राथमिक रंग नहीं है?
A. लाल/Red
B. हरा/Green
C. नीला/Blue
D.पीला/yellow

 

Q.4 निम्न में से प्रकाश का वेग सबसे अधिक होता है?
A.पानी मे/Water
B.निर्वात में/vacuum
C.वायु में/air
D.तेल में/Oil

 

Q.5 पत्तियों का रंग हरा दिखाई देता है क्यों?
पत्तियां अपने पर आने वाले प्रकाश के सभी भागों को अवशोषित/Absorb कर केवल हरे(Green Colour) रंग के प्रकाश स्पेक्ट्रम को परावर्तित/Reflect कर देता है।

 

 

 

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