South Indian Dynasties(दक्षिण भारतीय राजवंश) – Chola Dynasty, Chera Dynasty, Pandya Dynasty, Pallava Dynasty, Chalukya Dynasty, Rashtrakuta Dynasty.
South Indian Dynasties Notes are being given along with Question Answer. which is very important from the point of view of the various exams like UPSC CSE, CDS, NDA, SSC, Railway, RPSC RAS, EO & RO , SI, PATWAR, VDO , First Grade, Second Grade, Third Grade and Other State PCS Exams.
The Ancient History section is a vital part of the Govt Examinations . It is essential to prepare for this section thoroughly to score high marks and secure a good rank in the exam.

वाकाटक वंश |Vakatak Dynasty
- सातवाहन वंश के क्षेत्र पर | कुषाण के सामंत
- प्रयाग प्रशस्ति अभिलेख(समुद्र गुप्त) से इसकी जानकारी नहीं मिलती
- इसके स्थान पर चालुक्य का उदय
- राजधानी – बरार
- धर्म – ब्राह्मण | शैव
- संस्थापक – विन्ध्यशक्ति (255 AD)
- शासक :
विन्ध्यशक्ति | संस्थापक |
प्रवरसेन 1 (प्रतापी) | 4 अश्वमेघ + 1 वाजपेय यज्ञ |
रुद्रसेन | पत्नी – प्रभावती (चन्द्रगुप्त 2 + देवी की बेटी)गुप्त और वाकाटक में मैत्री पूर्ण सम्बन्ध |
पृथ्वीसेन 2 | अंतिम |
चालुक्य वंश | Chalukya Dynasty
- सतपुड़ा पर्वत के दक्षिण में
- 3 शाखाएँ – वातापी (बादामी) | कल्याणी | बेंगी
वातापी (बादामी)
- तीनो में सबसे पक्शिम में स्थित
- राजधानी – वातापी (कर्नाटक)
- संस्थापक – जयसिंह (जानकारी – कैरा ताम्रपत्र अभिलेखसे)
- सामंत के रूप में शासन किया
जयसिंह | संस्थापक जानकारी – कैरा ताम्रपत्र अभिलेख से सामंत के रूप में शासन किया |
पुलकेशिन द्वितीय | सबसे प्रतापी | महान शासक जानकारी : एहोल अभिलेख से उपाधि – कांचीकोंड (पल्लव की राजधानी कांची जीत के) दरबारी विद्वान् – रविकीर्ति दरबार में – ह्वेनसांग आया (641 AD) खुसरो 2 के दरबार में अपना राजदूत भेजा (ईरान का शासक) हर्षवर्धन को हराया(कन्नोज शासक) महेंद्र वर्मन को हराया (पल्लव शासक) हत्या : नरसिंह वर्मन द्वारा पराजित व वातापी में हत्या (पल्लव शासक) |
विक्रमादित्य 1 | पिता की हार का बदला कांची पर अधिकार करके (पल्लवों की राजधानी) परमेश्वरवर्मन से हार |
विनयादित्य | चालुक्य वंश का सर्वाधिक विकास उपाधि : सकलेत्तरपरथनाथ (संघर्ष पर विराम लगाने वाला) |
विजयादित्य | पट्टटदक्कल में शिव मन्दिर का निर्माण | पट्टटदक्कल : बीजापुर (कर्नाटक) अन्य नाम : विजेश्वर शिव मन्दिर |
विक्रमादित्य 2 | पल्लव की राजधानी कांची पर अधिकार उपाधि : कांचीकोंडकांची में राजसिंहेश्वर मन्दिर की दिवार पर अभिलेख खुदवाया 2 पत्नी : लोकमहादेवी : लोकेश्वर मन्दिर(विरूपाक्ष मन्दिर) का निर्माण | पट्टटदक्कल में त्रिलोकीमहादेवी : त्रिलोकेश्वर महादेव मन्दिर | पट्टटदक्कल में |
कीर्तिवर्मन 2 | राष्ट्रकूट शासक दन्तिदुर्ग द्वारा हत्या राष्ट्रकूट वंश का उदय चालुक्य : सामंती जीवन |
कल्याणी का चालुक्य
- सामन्ती जीवन जी रहे चालुक्यो ने राष्ट्रकूट की कमजोर स्थिति का फयदा उठा लिया
- पश्चिमी चालुक्य
- राज चिन्ह : वराह (सूअर)
- राष्ट्रकूट के अंतिम शासक कर्क 2 की हत्या By तैलप 2
- संस्थापक : तैलप 2 | राजधानी – मानखेत
- अंतिम शासक : सोमेश्वर 4
तैलप 2 | संस्थापक कर्क 2 की हत्या(राष्ट्रकूट) राजधानी – मानखेत |
सोमेश्वर 1 | राजधानी मालखेत से कल्याणी चोलो पर जीत हासिल नहीं कर पाया राजेन्द्र चोल से हारकर आत्महत्या | तुंगभद्रा नदी में कूदकर |
विक्रमादित्य 6 | चोल के प्रभाव को रोका साहित्य प्रेमी दरबारी विद्वान : कवि विल्हण : विक्रमांकदेव चरित पुस्तक मिताक्षर विज्ञानेश्वर : मिताक्षरा पुस्तक | हिन्दू कानून से सम्बन्ध |
बेंगी का चालुक्य
- सबसे कमजोर शाखा
- राजधानी : बेंगी (आन्ध्रप्रदेश)
- संस्थापक : विष्णुवर्धन
- योग्य शासक : विजयादित्य 3
पल्लव वंश | Pallava Dynasty
- राजधानी – कांची
- कृष्णा तथा गोदावरी नदी के बीच स्थित
- वंश की प्रथम जानकारी : प्रयाग प्रशस्तिअभिलेख (हरिसेन) | ह्वेन्सांग की यात्रा
- प्रारंभिक अभिलेख : प्राकृत भाषा में प्राप्त | बाद के अभिलेख : संस्कृत में
- शिक्षा का केंद्र : कांची
- इसी वंश के समय अरब आक्रमण शुरू
- धर्म : शैव धर्मं का प्रचलन
- संस्थापक : सिंह विष्णु
सिंह विष्णु | अवनि सिंह दरबारी विद्वान : भारवि | किरातुलजुकियम पुस्तक |
महेंद्रवर्मन 1 | पुलकेशिन द्वितीय द्वारा हार संगीत प्रेमी | कद्राचार्य को संगीत शिक्षा मन्दिर निर्माण : तिरुकोकर्णम (पुद्डूकोत्तई) कोकरणेश्वर मन्दिर पल्ल्वारम की 5 शैल वाले गुफा मन्दिर |
नरसिंह वर्मन 1 | पुलकेशिन द्वितीय की हत्या कर दी उपाधि : वातापीकोंड दरबार में ह्वेनसांग आया मन्दिर निर्माण : एक्श्मीय मन्दिर (रथ मन्दिर) |
नरसिंह वर्मन 2 | दरबारी विद्वान : दण्डी | दासकुमार चरितम (संस्कृत भाषा में) मन्दिर निर्माण : कैलाश मंदिर(कांची) सप्तपेगोडा के शोर मन्दिर (महाबलीपुरम) |
अपराजित | आदित्य 1 द्वारा इसकी हार (चोल शासक) पल्लव के स्थान पर चोल वंश की स्थापना |
- विक्रमादित्य 6(कल्याणी का चालुक्य) –
- कवि विल्हण : विक्रमांकदेव चरित पुस्तक
- मिताक्षर विज्ञानेश्वर : मिताक्षरा पुस्तक | हिन्दू कानून से सम्बन्ध
- सिंह विष्णु (पल्लव) –
- भारवि : किरातुलजुकियम
- नरसिंह वर्मन 2 (पल्लव) –
- दण्डी : दासकुमार चरितम (संस्कृत भाषा में)
- वाकाटक(विन्ध्यशक्ति) : बरार
- चालुक्य : वातापी(जयसिंह) | कल्याणी(तैलप 2 ) | बेंगी(विष्णुवर्धन)
- पल्लव(सिंह विष्णु) : कांची
- चोल(विजयालय) : तंजौर
- राष्ट्रकूट(दन्तिदुर्ग) : मालखेत
चोल वंश (9 वीं सदी) | Chola Dynasty
- प्रारंभ में पल्लवों के सामंत
- राजधानी : तंजौर
- संस्थापक : विजयालय
- भारत का सबसे प्राचीन स्थानीय स्वशासन | चुनाव : लौटरी पद्दति से
- महत्वपूर्ण पद : राजा | सहायता के लिए मंत्री परिषद्
- चोल प्रशासन का उच्च अधिकारी : पेरुन्दनम
- चोल प्रशासन का निम्न अधिकारी : शेरून्दनम
- राजा का उच्च अधिकारी : उड्डनकुटम
- अधिकारियों को वेतन का देकर भूमि अनुदान
- प्रशासन की सुविधा के लिए साम्राज्य 6 प्रान्तों में विभाजित
- मंडलम(प्रान्त) > कोट्टम(कमिश्नरी) > नाडू(जिला) > कुर्रम (गाँव)
- आय का स्त्रोत : भू-राजस्व
- लगभग 400 प्रकार के कर
- वेट्टी कर:
- कदमाई कर :
- चोल काल में शिव मन्दिरों का निर्माण | द्रविड़ शैली/विमानन शैली
- पहला उदाहरण : वृह्देश्वर मन्दिर (तंजौर)
- चोल काल में निर्मित : नटराज प्रतिमा
- तमिल भाषा का स्वर्ण काल
- सबसे मजबूत नौसेना
विजयालय | द्वितीय संस्थापक उपाधि : नर केसरी |
आदित्य 1 | अपराजित को हरा दिया (पल्लव शासक) | पल्लव का अंत उपाधि : कोदंडराम |
परान्तक 1 | उपाधि : मदुरैकोंड जानकारी : उत्तरमेरु अभिलेख भूमि सर्वेक्षण तक्कोलम का युद्ध : चोल v/s राष्ट्रकूट परान्तक 1 v/s कृष्ण 3 परान्तक 1 की हार (चोल हार गये) |
राजाराज चोल | मूल नाम : अलिमोली वर्मन शैव धर्म को मानता था उपाधि : मामुडी चोल | शिवपाद शेखर श्रीलंका का उत्तरी भाग जीता | शामिल नहीं क़र पाया मालदीव पर भी अधिकार अपना दूत मंडल चीन भेजा मन्दिर निर्माण : वृह्देश्वर मन्दिर (तंजौर) |
राजेंद्र चोल 1 | चोल वंश में सबसे प्रतापी श्रीलंका को पूरी तरह जीत लिया | राजधानी अनुराधापुर पर अधिकार | महेंद्र 5 को बंदी महिपाल(बंगाल शासक) को हरा दिया उपाधि : गंगईकोंड शहर बसाया : गंगईकोंड चोलपुरम तालाब : चोलगंगम(गंगा जल मिला के) सुमात्रा पर आक्रमण | शासक शैलेन्द्र को पराजित अरब सागर द्वीप में स्थित सदिम्न्दिक द्वीप पर अधिकार 72 सदस्यी दूत मंडल चीन भेजा (प्रथम चोल शासक जिसने ऐसा किया) |
कोलोतुंग 2 | गोविन्दराज की मूर्ति (चिदंबरम मन्दिर में स्थित) को समुद्र में फेकवा दिया |
राजेन्द्र 3 | अंतिम शासक इसके बाद वंश समाप्त |
तमिल भाषा का त्रिरत्न
- कम्बन
- ओट्टक कुट्टन
- पुगालेंदी
तमिल रामायण की रचना :
- कम्बन
राजा और उनकी उपाधि
- विजयालय : नर केसरी
- आदित्य 1 : कोदंडराम
- परान्तक 1 : मदुरैकोंड
- राजा राज : मामुड़ी चोल | शिवपाद शेखर
- राजेन्द्र 1 : गंगईकोंड
राष्ट्रकूट वंश | Rashtrakuta Dynasty.
- संस्थापक : दन्तिदुर्ग
- दन्तिदुर्ग ने कीर्तिवर्मन 2 (वातापी का चालुक्य) को हरा कर इस वंश की नीव रखी
- राजधानी : माल्खेत /मालखंड
दन्तिदुर्ग | कीर्तिवर्मन 2 (वातापी का चालुक्य) को हरा कर इस वंश की नीव रखी राजधानी : माल्खेत /मालखंड उपाधि : महाधिराज , परमेश्वर , परम भट्टारक |
कृष्ण 1 | एलोरा के कैलाश मन्दिर का निर्माण | महाराष्ट्र में |
ध्रुव | कनौज पर अधिकार के लिए त्रिपक्षीय संघर्ष में भाग राष्ट्रकूट – पाल – प्रतिहार 100 वर्ष तक चला सर्वाधिक जीत राष्ट्रकूटो की सर्वाधिक हार : पाल शासको की अंतिम विजय : प्रतिहार की |
अमोघ वर्ष | विद्वान शासक | कविराज मार्ग पुस्तक की रचना जैन धर्म अपना लिया | जिनसेन के प्रभाव में आकर दरबार में कन्नड़ भाषा के विद्वान(3) : पन्न – पोन्न – रन्न शांतिपुराण : पोन्न द्वारा रचित |
इंद्र 3 | दरबार में अल मसूदी (अरब यात्री) आया | पहली बार मानसून का वर्णन |
कृष्ण 3 | परान्तक 1(चोल) को हराया तक्कोलम के युद्ध में |
कर्क 2 | अयोग्य व् अंतिम शासक इसको तैलप 2 ने हरा दिया और कल्याणी के चालुक्य की नीव रख दी |