Virus छोटे आकार के संक्रामक एजेंट होते हैं जो केवल जानवरों, पौधों या बैक्टीरिया की जीवित कोशिकाओं में अपने आप को गुणा (Multiple) कर सकते हैं ।
वायरस लाभकारक एवं हानिकारक दोनों प्रकार के होते हैं। जीवाणुभोजी विषाणु एक लाभप्रद विषाणु है, यह हैजा, पेचिश, टायफायड आदि रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणुओं को नष्ट कर मनुष्य की रोगों से रक्षा करता है।
Latin word which mean -: “poison (विष)”
वायरस की खोज किसने की ?
रूसी वनस्पति शास्त्री इवानोवस्की ने 1892 में तम्बाकू में होने वाले मोजेक रोग का अध्ययन करते समय विषाणु के अस्तित्व का पता लगाया।
was a Russian botanist, the discoverer of viruses (1892) Known for TMV (Tobacco mosaic वायरस)

D.इवानोविस्की
(28 October 1864 – 20 June 1920)
Virus के अध्यन्न को क्या कहा जाता है ?
वायरस के अध्ययन को Virology (विषाणु विज्ञान) कहा जाता है।
Mosaic क्या है ?
मोजेक शब्द रखने का कारण इनका मोजेक के समान तम्बाकू के पत्ते पर चिन्ह पाया जाना था। इस चिन्ह को देखकर इस विशेष वायरस का नाम उन्होंने टोबेको मोजेक वाइरस (TMV) रखा।
Virus कितने प्रकार के होते हैं ?
A. Plant virus
B. Animal Virus
C. BACTERIOPHAGE
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विषाणु से होने वाले रोग
1.रेबीज़ रोग :
यह एक Virus जनित रोग है।
यह रोग कुत्तो के काटने से होता है जब कुत्ता किसी व्यक्ति को काटता है तो, कुत्ते के लार में उपस्थित Virus व्यक्ति में प्रवेश कर जाता है तथा व्यक्ति संक्रमित हो जाता है।
Rebies के virus का प्रभाव व्यक्ति के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर पड़ता है इस रोग में व्यक्ति कभी-कभी आक्रामक व्यवहार भी करने लगता है।
लक्षण :
- सिरदर्द
- बुखार
- अधिक लार आना
- बेचैनी
- पानी से डर लगना (Hydrophobia)
- असामान्य व्यवहार
2.हर्पिस (Herpes) :
यह रोग Skin to skin Contact से फैलता है तथा इस रोग में रोगी को खुजली तथा Painful छाले हो जाते है।
लक्षणो के आधार पर इस रोग के प्रकार का पता चलता है।
हर्पिस रोग के Virus के 2 प्रकार है
Virus -: यह रोग Herpes Simplex Virus के कारण फैलता है जिसके 2 Type है ।
HSV Type -1
HSV Type -2
प्रभावित अंग -: इस रोग में होंठ तथा जननांग प्रभावित होते है।
लक्षण :
- HSV-1 के कारण रोगी व्यक्ति के होंठ के किनारों पर छाले हो जाते हैं। (Oral Herpes)
- HSV- 2 के कारण रोगी व्यक्ति के जननांग संक्रमित (Genital Infection) हो जाते है। (Genital Herpes)
3.पोलियो रोग (Polio) -:
पोलियो बच्चो में होने वाला एक घातक रोग है। यह जल तथा खाद्य पदार्थों द्वारा फैलता है।
Virus : यह रोग पोलियो वायरस के कारण फैलता है।
प्रभावित अंग : मांसपेशी विशेषकर पैरो की
लक्षण :
- मांसपेशियों में कमजोरी (Legs)
- चलने में असमर्थता
- अपंगता (Paralysis)
4.एड्स (AIDS) :
इसका पूरा नाम Acquired immunodeficiency syndrome (AIDS) है यह रोग व्यक्ति के immune System को बुरी तरह प्रभावित करता है तथा यह रोग संक्रमित सुई के उपयोग से या असुरक्षित यौन सम्बन्ध (Sex without a Condom) बनाने से होता है।
Immune system कमजोर हो जाने के कारण व्यक्ति को कई बीमारियां घेर लेती है।
(HIV : Human immunodeficiency virus)
Virus : यह रोग “HIV virus” के कारण फैलता है।
प्रभावित अंग -: इस रोग में व्यक्ति का प्रतिरक्षा तंत्र प्रभावित होता है।
लक्षण :
- बुखार
- बेचैनी
- वजन में कमी आना
- त्वचा पर Rash
- सिरदर्द
- भूख में कमी
5.इन्फ्लूएंजा (Influenza) :
इसे Flue भी कहते है। यह रोग वायु के द्वारा काफी तेजी से फैलता है इसके विषाणु संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने व संक्रमित वस्तुओं के उपयोग से स्वस्थ व्यक्ति तक पहुंच सकते है।
Virus : यह रोग इन्फ्लूएंजा Virus के कारण फैलता है।
प्रभावित अंग : गला
लक्षण :
- सिरदर्द
- बुखार
- उल्टी
- कफ आना
- गले मे दर्द
- गला सूखना
- जोड़ो में दर्द (Joints Pain)
6.गलसुआ (Mumps) :
यह रोग भी अधिकतर बच्चों में होता है। इस रोग के Virus रोगी की छींक, खांसी, थूक आदि के द्वारा वायु के माध्यम से स्वस्थ व्यक्ति तक पहुंच सकते है।
Virus – Mumps Virus के कारण यह रोग फैलता है।
प्रभावित अंग : इस रोग में लार ग्रन्थियां प्रभावित होती है।
लक्षण :
- बुखार
- सिरदर्द
- मांसपेशियों में दर्द
- लार ग्रन्थियो में सूजन (Parotid salivary gland में)
7. Chicken pox :
Virus : वेरिसेला जोस्टर वायरस(VZV) के कारण यह रोग फैलता है।
प्रभावित अंग : त्वचा
लक्षण :
- Skin पर Rashes (धब्बे)
8.खसरा (Measles) :
(morbili / rubeola)
यह रोग बच्चों के लिए गंभीर है लेकिन Vaccine के माध्यम से इस रोग से बचा जा सकता है।
यह रोग खाँसने, छींकने के दौरान जो बूंदे निकलती है उनके वायु में जाने तथा फिर वायु के द्वारा स्वस्थ व्यक्ति में फैल सकता है।
यह रोग लार (Saliva) के माध्यम से भी हो सकता है like Colddrink Share करना, kiss करने से
यह skin to skin contact से भी हो सकता है like हाथ मिलाना व Hug करना।
Virus : Measles virus के कारण
प्रभावित अंग : श्वसन तंत्र , फेफड़े, गला
लक्षण :
- आंखों का लाल होना
- कफ
- नाक बहना
- बुखार
- त्वचा पर लाल चकते – चकते हो जाना
- भुख कम लगना (Loss of Appetite)
- Lymph Node में सूजन
9.Small pox –
Virus : वेरिओला वायरस के कारण
प्रभावित अंग – त्वचा
लक्षण :
- बुखार
- उल्टी आना
- छाले होना
- पूरे शरीर पर दाने हो जाना
10.चिकुनगुनिया :
यह रोग मच्छर के काटने से होता है।
Virus -: चिकुनगुनिया वायरस (CHIKV)
प्रभावित अंग – जोइंट्स
लक्षण :
- बुखार
- जोड़ो में दर्द
- मांसपेशियों में दर्द
- त्वचा पर rashes
11.डेंगू बुखार / हड्डितोड़ बुखार :
यह रोग मादा एडीज़ मच्छर के काटने से होता है।
Virus -: डेंगू virus
प्रभावित अंग : Joints
लक्षण :
- जोड़ो में तेज दर्द
- मांसपेशियों में दर्द
- बुखार
- प्लेटलेट्स की संख्या में कमी
वायरस के बारे में रोचक तथ्य/Important Facts About Virus
(1). वायरस केवल जीवित कोशिका के अंदर ही अपनी प्रतिलिपि (Copy) बना सकते है।
(2).वायरस बैक्टेरिया से कई गुना छोटे होते हैं जिन्हें केवल इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से देखा जा सकता है ।
(3). वायरस में आनुवंशिक पदार्थ के रूप में RNA या DNA पाया जाता है।
(4). वायरस वातावरण में मृत अवस्था यानी inactive रहते है जैसे ही ये किसी जीवित cell के संपर्क में आते है सक्रिय हो जाते है।
(5). एक बार जब वायरस जीवित कोशिका में प्रवेश कर जाता है, वह कोशिका के मूल RNA एवं DNA की जेनेटिक संरचना को अपनी जेनेटिक सूचना से बदल देता है और cell संक्रमित हो जाती है फिर वह अपने जैसे संक्रमित Cells का पुनरुत्पादन शुरू कर देती है।
(6). एक वायरस बिना किसी सजीव माध्यम के अपने आप को Reproduce नहीं कर सकता ।
(7). सम्पर्क द्वारा , वायु द्वारा, भोजन एवं जल द्वारा तथा कीटों द्वारा Virus का संचरण होता है।
(8). वायरस का Crystal के रूप में सँग्रह किया जा सकता है।
(9). Virus – Genetic Material + Protein के बने होते है।
(10). वायरस के ऊपर protein का आवरण पाया जाता है जिसे Capsid कहा जाता है ।
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